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राजस्थान के इस गणेश मंदिर में मुस्लिम भी करते हैं पूजा-अर्चना, निकाह के लिए देते हैं पहला निमंत्रण

राजस्थान के डीडवाना स्थित दोजराज गणेश मंदिर, भगवान गणेश का एक ऐसा पवित्र स्थल है जहां हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों की गहरी आस्था है। यहां भगवान गणेश की 9 फीट ऊंची प्रतिमा राजस्थान की सबसे बड़ी प्रतिमा मानी जाती है। इस मंदिर में शादी या निकाह का पहला निमंत्रण देने से हर कार्य सिद्ध होने की मान्यता है।

राजस्थान के इस गणेश मंदिर में मुस्लिम भी करते हैं पूजा-अर्चना, निकाह के लिए देते हैं पहला निमंत्रण

देशभर में भगवान गणेश के कई मंदिर हैं, लेकिन राजस्थान में उनका एक ऐसा भी मंदिर है जहां पर हिंदुओं के साथ मुस्लिम भी पूजा करते हैं। यह मंदिर डीडवाना में स्थित है और इसको दोजराज गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में भगवान लंबोदर की 9 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है, जिनकी महिमा सुनकर लोग दूर-दूर से आते हैं। भगवान गणेश की यह प्रतिमा राजस्थान की सबसे बड़ी प्रतिमा है।

इस मंदिर की मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान गणेश को शादी का पहला निमंत्रण देने से उनका हर काम बिना किसी रुकावट के पूरा हो जाता है। इसलिए सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी करते हैं और उनको पहली पात्री चढ़ाकर निकाह का निमंत्रण देते हैं।

कब हुई थी इस मंदिर की स्थापना

इस मंदिर के पुजारी रामावतार दाधीच ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना करीब 160 साल पहले हुई थी। जब निरंजनी संप्रदाय के संत नमक झील स्थित पाढ़ाय माता मंदिर जाने के लिए यहां से गुजर रहे थे। जब वह यहां पर रुके तो दुन्दराज नामक एक साधु ने मोण मटकी (बड़ी मटकी), मुरड़ और मिट्टी से भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा बनाई। इसके बाद इस स्थान पर उनकी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा करवाई गई, तब से ही भगवान गणेश का यह मंदिर इसी स्थान पर स्थित है। भगवान गणेश के साथ में उनकी पत्नियों रिद्धि और सिद्धि भी स्थापित हैं। इसी मंदिर परिसर में एक तरफ बालाजी और दूसरी तरफ में राम दरबार स्थापित किया गया है। इस मूर्ति की एक और खासियत यह भी है कि भगवान गणेश के बगल में नाग देवता भी स्थापित हैं। मंदिर के मुख्य द्वार के बारे में बात करें तो द्वार के आगे दो शेरों की मूर्तियां स्थापित हैं और पास में तोते की मूर्तियां भी स्थापित हैं।