महाकुंभ के दौरान रियल लोकेशन पर शूट हुआ था 'हासिल' का क्लाइमेक्स, संतों ने असल समझ की थी ये बात!
डायरेक्टर तिग्मांशु ने हासिल की स्क्रिप्ट कुंभ मेले को ध्यान में रखकर लिखा था। तब कुंभ मेला चल भी रहा था। लेकिन फिल्म की कहानी के चलते प्रोड्यूसर्स हां नहीं कर रहे थे और कुंभ का मेला भी खत्म होने की कगार पर था।

कुछ ही दिनों में महाकुंभ की शुरुआत होने वाली है। भक्तों से लेकर महानतम गुरु भी कुंभ में शामिल होते हैं। हम सबने फिल्मी पर्दे पर कुंभ को लेकर कई बातें सुनी हैं। कभी दो भाई जो कुंभ में बिछड़े और जवान होने पर मिले, तो कभी कुंभ के मेले की भीड़ की उदाहरण.....महाकुंभ का नाम लेने पर, ट्रिविया लवर होने के नाते साल 2003 में रिलीज हुई फिल्म हासिल का किस्सा भी जहन में दोहरा जाता है। फिल्म हासिल की स्क्रिप्ट सिर्फ कागज पर थी, प्रोड्यूसर्स की तलाश हो रही थी। लेकिन उस समय कुंभ निकला जा रहा था, तो क्लाइमैक्स सीन को पहले ही शूट कर लिया गया और जब ये फिल्म रिलीज हुई, तो ये कल्ट सिनेमा का उदाहरण बन गई।
प्रोड्यूसर्स की तलाश के बीच कुंभ में शूट हुआ क्लाइमेक्स
16 मई 2003 को इरफान खान, जिम्मी शेरगिल, आशुतोष राणा, राजपाल यादव और हर्षिता भट्ट स्टारर और डायरेक्टर तिग्मांशु धूलिया की फिल्म हासिल रिलीज हुई। ये क्राइम ड्रामा फिल्म आज भी कल्ट फिल्म का उदाहरण कही जाती है। खास बात है कि हमारे बीच अब न रहे इरफान खान ने इकलौती जिस फिल्म नेगेटिव किरदार निभाया और बेस्ट नेगेटिव रोल के लिए फिल्म फेयर अवॉर्ड जीता, वो फिल्म उनके बिना बन ही न पाती।
डायरेक्टर तिग्मांशु ने हासिल की स्क्रिप्ट कुंभ मेले को ध्यान में रखकर लिखा था। तब कुंभ मेला चल भी रहा था। लेकिन फिल्म की कहानी के चलते प्रोड्यूसर्स हां नहीं कर रहे थे और कुंभ का मेला भी खत्म होने की कगार पर था। इतने में तिग्मांशु ने हिम्मत की और अपनी जमा पूंजी लेकर शूटिंग के लिए इलाहाबाद पहुंच गए। क्योंकि कुंभ मेले को री-क्रिएट करना बहुत मुश्किल था। हासिल का क्लाइमैक्स का सीन रियल मेले में शूट हुआ था।
ऐक्ट्रेस बोली कुंभ में संत चिल्लाने लगे लड़की को भगा रहे हैं
फिल्म की लीड एक्ट्रेस ऋषिता ने एक इंटरव्यू में बताया कि फिल्म का क्लाइमैक्स शूट करने के लिए 10 दिन हम एक असली कुंभ मेले में गए थे। यह कुंभ मेला 100 साल में एक बार आता था और जब हम वहां गए तब हमें शूटिंग करने में बहुत कठिनाई हुई क्योंकि असल लोकेशन पर शूट करना आसान नहीं था। हमारे पास मेले में शूटिंग करने की परमिशन थी लेकिन भीड़ को कंट्रोल कर पाना हमारे लिए असंभव था। मैंने एक टेंट में ही 10 दिन गुजारे थे। एक सीन के दौरान हमें भागना था, मगर वहां मौजूद संतो को लगता था कि कोई सच में मुझे भगा कर ले जा रहा है और वे बीच में ही चिल्लाने लगते थे कि लड़की को भगा रहा है। ये शेड्यूल काफी मुश्किल था।