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शव को क्यों नहीं छोड़ना चाहिए कभी भी अकेला? जानें इसी तरह के अन्य तथ्यों के लिए क्या कहता है गरुण पुराण

गरुड़ पुराण के मुताबिक, मृतक की आत्मा दाह संस्कार तक शव के आस-पास ही रहती है और वापस अपने शरीर में प्रवेश करना चाहती है। क्योंकि मृत्यु के बाद भी आत्मा का शरीर से जुड़ाव रहता है, शव को अकेला न छोड़ने का एक कारण ये भी कहा जाता है।

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हिंदू धर्म में मनुष्य के जन्म से पहले यानी कि गर्भधारण से लेकर मृत्यु तक कुल 16 संस्कारों का वर्णन मिलता है। विवाहित स्त्री के गर्भधारण से लेकर देह त्याग के बाद अंतिम संस्कार तक सभी संस्कार निभाए जाते हैं। जिसकी अपनी-अपनी सीमा और नियम होते हैं। लेकिन अंतिम संस्कार यानी शव से आत्मा निकल जाने के बाद शव को अकेला नहीं छोड़ा जाता है। ऐसा क्यों होता है गरुण पुराण में इसे स्पष्ट बताया गया है।

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क्यों शव को नहीं छोड़ा जाता है अकेला?

किसी की मृत्यु होने पर अंतिम संस्कार के बाद गरुड़ पुराण पढ़ा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मृतक की आत्मा को मोह-माया त्यागकर वहां से जाने में मदद मिलती है। गरुड़ पुराण के मुताबिक, मृत्यु के बाद शव को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। खासतौर पर रात के समय शव को अकेला छोड़ने की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि रात में बुरी आत्माएं सक्रिय होती हैं और मृतक के शरीर के प्रवेश कर सकती हैं। इसकी वजह से परिवार के सदस्यों को संकट झेलना पड़ सकता है।

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दाह संस्कार तक आत्मा रहती है आस-पास

गरुड़ पुराण के मुताबिक, मृतक की आत्मा दाह संस्कार तक शव के आस-पास ही रहती है और वापस अपने शरीर में प्रवेश करना चाहती है। क्योंकि मृत्यु के बाद भी आत्मा का शरीर से जुड़ाव रहता है, शव को अकेला न छोड़ने का एक कारण ये भी कहा जाता है।

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रहता है आस-पास चीटियां या कीड़े-मकोड़े आने का डर

गरुड़ पुराण के मुताबिक, अगर शव को अकेला छोड़ दिया जाए, तो उसके आस-पास चीटियां या कीड़े-मकौड़े आने का डर रहता है। ये भी एक कारण कहा जाता है कि कि कभी भी शव को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। इसीलिए कोई न कोई शव के पास हमेशा बैठा रहता है।

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तांत्रिक क्रिया से भी होता है खतरा

मान्यता ये भी है कि रात के समय तांत्रिक क्रियाएं की जाती है और अगर रात के समय शव को अकेले छोड़ दिया जाए तो मृत आत्मा संकट में आ सकती है।

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शवदाह के बाद न देखें पीछे मुड़कर

गरुड़ पुराण के मुताबिक, शमशान में शव को अग्नि के हवाले करने के बाद सगे-संबंधी वापस लौट आते हैं। मृत व्यक्ति की आत्मा वहां मौजूद संबंधियों को देखती है और उनके साथ लौटना चाहती है। इसलिए कहते हैं शवदाह के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। 

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10 वस्‍तुओं का दान जरुरी

कहते हैं मरने के बाद व्यक्ति के कर्म और पुण्य उसके साथ जाते हैं। इसलिए 10 चीजों का दान स्वयं कर देना चाहिए। ये 10 चीजें हैं तिल, लोहा, सोना, रूई, नमक, सात प्रकार के अन्न, भूमि, गौ, जलपात्र और पादुका। मान्यता है कि इनके दान से यममार्ग में जाते हुए आत्मा को कष्ट का सामना नहीं करना होता है।