महाकुंभ में पिंडदान कर सांसारिक रिश्तों और बंधनों से मुक्त हुए 1500 गृहस्थ, चुना वैराग्य का मार्ग
महाकुंभ 2025 में 1500 से अधिक गृहस्थों और युवाओं ने सांसारिक मोह माया को त्यागकर वैराग्य का मार्ग चुना। बीते शनिवार संगम किनारे इन सभी ने नागा साधु बनने की दीक्षा ली।

इस बार का महाकुंभ हर तरह से खास होने वाला है, 144 साल के बाद हो रहे इस महापर्व में ऐसी कई घटनाएं हो रही हैं जिससे यह चर्चा का विषय बना हुआ है। करोड़ों लोगों का साक्षी बन रहे महाकुंभ में तरह-तरह के लोग शामिल होने के लिए आ रहे है, देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी इसकी धूम है। अब इसकी एक और घटना ने लोगों का ध्यान खींच लिया है। संगम किनारे बीते शनिवार को 1500 से गृहस्थ और युवाओं ने सांसारिक मोह को त्याग कर वैराग्य का रास्ता चुन लिया है।
हर बंधन से मुक्त थामा वैराग्य का हाथ
जी हां ये युवा श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा में नागा सन्यासी बन गए हैं, उन्होंने इस महापर्व का हिस्सा बनते हुए नागा साधु बनने की दीक्षा ली है। इसके साथ ही उन्होंने घर और रिश्ता से अपना तोड़ कर, खुद को हर बंधन से मुक्त होकर नागा बनने का प्रण लिया। 19 जनवरी को महिलाओं को नागा बनने की दीक्षा मिलेगी। इसके बाद आगामी 24 और 27 जनवरी को फिर से नागा सन्यासी बनाया जाएगा।
पिंडदान कर रिश्तों से हुई मुक्ति
बता दें कि कुंभ और महाकुंभ में शैव अखाड़े जूना, महानिर्वाणी, अटल, आनंद, निरंजनी और आवाहन नागा संन्यासी बनाए जाते हैं। बीते शनिवार को तट पर अखाड़े के चार मढ़ियों गिरि, पुरी, सरस्वती और भारती के नागा सन्यासी बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। रमता पंच के श्रीमहंत निरंजन भारती, मोहन गिरि, दूध पुरी और रामचंद्र गिरि की निगरानी में वैराग्य धारण करने वालों का पहले मुंडन किया गया। इसके बाद मंत्रोच्चारण करवाकर पावन गंगाजल में 108 डुबकी लगवाई गई और फिर गंगा पूजन करके पिंडदान भी कराया गया। जिससे ये लोग सभी सांसारिक रिश्तों से मुक्त हो जाएं।
मृत होने की घोषणा
वैराग्य धारण करने वाले लोगों ने पिंडदान करके खुद को सभी सांसारिक रिश्तों से मुक्त होते हुए मृत होने की घोषणा भी कर दी। इन चारों मढ़ियों ने पहले चरण में 1500 लोगों को नागा संन्यासी बनाया है। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय मंत्री श्रीमहंत चैतन्य पुरी ने कहा कि उनके अखाड़े में करीब 5.3 लाख से ज्यादा नागा सन्यासी हैं। पंचों ने उनको सनातन धर्म का मर्म, अखाड़े की कार्यप्रणाली के साथ में निष्ठा और नियम के बारे में बता दिया है। उन लोगों ने उसका पालन करने का संकल्प लिया है। रात में सभी लोगों ने हवन करके सांसारिक मोह माया से मुक्ति पा ली है। जिन लोगों ने सन्यास लिया है, उन्होंने एक दिन पहले अन्न त्याग दिया था और सिर्फ जल व एक फल खाया था।