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Mahakumbh 2025: महाकाल गिरी बाबा का संकल्प, 9 साल से हाथ ऊपर, नहीं काटे नाखून…राजस्थान से है ये कनेक्शन !

Mahakumbh 2025: तन पर भस्म-भभूत, हाथों में लाठियां, फरसा और त्रिशूल लहराते हुए संगम नगरी के महाकुंभ मेले के लिए सभी अखाड़ों से जुड़े साधु-संतों के आने का सिलसिला जारी है. लेकिन इस बीच कई ऐसे महंत हैं जो सुर्खियों में छाए हुए हैं. 

Mahakumbh 2025: महाकाल गिरी बाबा का संकल्प, 9 साल से हाथ ऊपर, नहीं काटे नाखून…राजस्थान से है ये कनेक्शन !

Mahakumbh 2025: प्रयागराज के महाकुंभ को लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी है, इस बीच हाथों में लाठियां, फरसा और त्रिशूल लहराते हुए सभी अखाड़ों से जुड़े साधु-संतों के आने का सिलसिला जारी है.वहीं इस महाकुंभ में मध्य प्रदेश से महाकाल गिरी बाबा  भी पहुंचे हुए हैं,जो अपने अनोखे संकल्प के लिए सुर्खियों में हैं. उन्होंने पिछले 9 सालों से अपना एक हाथ ऊपर उठाकर रखा है और इस दौरान कभी अपने नाखून नहीं काटे. उनका यह संकल्प गौ रक्षा और धर्म रक्षा के लिए है. बाबा ने इस तपस्या को आजीवन निभाने का प्रण लिया है. 

अनोखी तपस्या ने किया भक्तों को हैरान
महाकाल गिरी बाबा का कहना है कि यह सब भगवान भोलेनाथ की कृपा और साधना के कारण संभव हुआ है. बता दें बाबा को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं. उनकी यह अनोखी तपस्या उन्हें हठयोगी बाबा के रूप में प्रसिद्धि दिला रही है. जानकारी के मुताबिक महाकाल गिरी बाबा राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले हैं और पिछले दो दशकों से साधु जीवन व्यतीत कर रहे हैं. 

धर्म और लोक कल्याण के लिए तपस्या
महाकाल गिरी बाबा का कहना है कि उनकी यह तपस्या सनातन धर्म और लोक कल्याण के लिए है. उन्होंने 10-12 साल की उम्र में ही घर छोड़ दिया था और साधु-संतों के साथ रहकर भगवान की भक्ति में लीन हो गए. बाबा ने बताया कि जब से उन्होंने हाथ ऊपर उठाया है, तब से अपने हाथ के नाखून भी नहीं काटे. उनका मानना है कि यह तपस्या उनके पिंडदान के साथ ही पूरी होगी. 

हठयोग से खींचा श्रद्धालुओं का ध्यान
महाकाल गिरी बाबा हर बार कुंभ मेले में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं. इस बार भी वे महाकुंभ में धुनि रमा रहे हैं और अपने हठयोग के लिए श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं. उनके इस असाधारण संकल्प ने उन्हें महाकुंभ का एक प्रमुख आकर्षण बना दिया है, जहां भक्त उनके तप और भक्ति से प्रेरणा ले रहे हैं.

रिपोर्ट- ऋषभ कांत छाबड़ा