Trendingट्रेंडिंग
विज़ुअल स्टोरी

और देखें
विज़ुअल स्टोरी

Mahakumbh 2025: महाकुंभ में अब नहीं बिछड़ेगा कोई, न ही मचेगी भगदड़, इस तकनीक के इस्तेमाल से मिलेगी मदद !

एक दौरा था जब कुंभ मेले या महाकुंभ मेले के लिए कहा जाता था कि बड़ी तादात में लोग अपनों से बिछड़ जाते हैं। इसके साथ ही महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजन जहां सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल होते हैं, इतने बड़े जनसैलाब को सम्भालना शासन और प्रशासन के लिए बड़ा सिर दर्द हुआ करता था। लेकिन अब आधुनिकता और तकनीकि के इस्तेमाल से इस पर नियंत्रण किया जाना भी संभव हो गया है।

Mahakumbh 2025: महाकुंभ में अब नहीं बिछड़ेगा कोई, न ही मचेगी भगदड़,  इस तकनीक के इस्तेमाल से मिलेगी मदद !

प्रयागराज महाकुंभ में उम्मीद की जा रही है कि करीब 4000 मिलियन लोग शामिल हो सकते हैं । पहले के रिकॉर्ड्स को देखते हुए और इस आयोजन में भीड़ को नियंत्रण में रखने के लिए अब आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस यानि कि AI का इस्तेमाल किया जा रहा है ।

6 हफ्ते तक चलेगा आयोजन

महाकुंभ को लेकर ये अनुमान लगाया जा रहा है कि मेले में 400 मिलियन तक तीर्थयात्री आएंगे, जो हिंदू धर्म के सबसे पुराने और धार्मिक स्नान का हिस्सा बनेंगे। महाकुंभ सोमवार से शुरू हुआ और छह सप्ताह तक चलेगा। अगर पिछड़े रिकॉर्ड्स को देखा जाए, तो कुंभ मेले में लोगों का खोना और भगदड़ मचने के मामले बड़ी संख्या में मिल जाएंगे। हालांकि मौजूद वक्त में इसको काबू में करने का उपाय अब खोज लिया गया है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अमित कुमार ने जानकारी दी, "हम चाहते हैं कि हर कोई अपने आध्यात्मिक कर्तव्यों को पूरा करने के बाद खुशी से घर वापस जाए। एआई हमें संवेदनशील स्थानों पर उस भीड़ तक पहुंचने से बचने में मदद कर रहा है।"

1954 की घटना याद कर दहल जाता है दिल

साल 1954 में कुंभ मेले से बुरी खबर सामने आई थी। उस वक्त एक ही दिन में 400 से अधिक लोग कुचले जाने या डूब जाने से मारे गए थे। यह घटना दुनिया भर में भीड़ से संबंधित आपदा में सबसे बड़ी मौतों में से एक थी। इसके अलावा 2013 में जब आखिरी बार प्रयागराज में उत्सव का आयोजन किया गया था तो 36 लोगों के कुचल कर मारे जाने की खबर सामने आई थी।

इस बार प्रशासन कितना तैयार

इस बार अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने जिस तकनीक की मदद ली है, वह उन्हें भीड़ के आकार का सटीक अनुमान लगाने में मदद करेगी, जिससे वे संभावित परेशानी के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो सकेंगे। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने उत्सव स्थल पर और विशाल शिविर की ओर जाने वाली सड़कों पर लगभग 300 कैमरे लगाए हैं, जो खंभों और ओवरहेड ड्रोन के बेड़े पर लगाए गए हैं। गंगा और यमुना नदियों के संगम पर नेटवर्क की देखरेख पुलिस अधिकारियों और टेक्नीशियन की एक छोटी टीम की मदद से एक ग्लास पैनल वाले कमांड और कंट्रोल रूम में की जाती है। जहां से पूरे मेला क्षेत्र की निगरानी की जा सकती है। यहां ऐसे एंगल्स से कैमरे लगाए गए हैं, जिससे लोगों को गिना भी जा सकता है। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि फुटेज को एक एआई एल्गोरिदम में फीड किया जाता है जो इसके संचालकों को हर दिशा में मीलों तक फैली भीड़ का अनुमान देता है। इस डेटा को रेलवे और बस ऑपरेटरों के डेटा से क्रॉस-चेक किया जाता है। इसके सात ही अगर भीड़ वाले किसी इलाके में सुरक्षा को लेकर खतरा पैदा होता है तो सिस्टम अलार्म बजता है।