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अजमेर दरगाह को शिव मंदिर बताने का मामला: याचिकाकर्ता पर सुबह-सुबह चल गई गोली!

Ajmer Dargah Case: अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह को संकट मोचन महादेव मंदिर बताने की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता ने कोर्ट में अपनी जान को खतरा होने का हवाला देते हुए भीड़ कम करने की मांग की थी. गुप्ता ने पहले भी धमकियां मिलने का दावा किया था, जिसमें उन्हें बम से उड़ाने या गोली मारने की धमकी शामिल है.

अजमेर दरगाह को शिव मंदिर बताने का मामला: याचिकाकर्ता पर सुबह-सुबह चल गई गोली!

Firing on Vishnu Gupta: अजमेर दरगाह को शिव मंदिर बताने के विवादित मामले में याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता पर जानलेवा हमले का दावा किया गया है. बताया जा रहा है कि शनिवार सुबह 6 बजे अजमेर से जयपुर लौटते वक्त उनकी कार पर अज्ञात लोगों ने गोली चलाई. यह घटना विवाद के बढ़ते तनाव और धमकियों के बीच हुई है.

दरअसल, अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह को संकट मोचन महादेव मंदिर बताने की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता ने कोर्ट में अपनी जान को खतरा होने का हवाला देते हुए भीड़ कम करने की मांग की थी. गुप्ता ने पहले भी धमकियां मिलने का दावा किया था, जिसमें उन्हें बम से उड़ाने या गोली मारने की धमकी शामिल है. बीते शुक्रवार को सुनवाई के दौरान दरगाह कमिटी ने याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए इसे झूठे तथ्यों पर आधारित बताया. हालांकि, कोर्ट ने याचिका खारिज करने के बजाय नई तारीख दे दी. अगली सुनवाई की तारीख 24 जनवरी को दी गई.

विष्णु गुप्ता को लगातार मिल रही धमकियां
फायरिंग की घटना याचिकाकर्ता पर पहले से बढ़ते खतरे को उजागर करती है. बताया गया कि कोर्ट के बाहर खुद को मीडियाकर्मी बताने वाले एक व्यक्ति ने मामले से जुड़े वकील को गोली मारने की धमकी दी थी.

मामला क्या है?
23 सितंबर 2024 को हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर की सिविल कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इसमें दावा किया गया कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह दरअसल एक प्राचीन संकट मोचन महादेव मंदिर है. कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई का फैसला लेते हुए अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमिटी और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को नोटिस जारी किया. इस मामले को लेकर 20 दिसंबर और फिर 24 जनवरी को सुनवाई की तारीख तय की गई. इस विवाद ने धार्मिक और सामाजिक स्तर पर बहस छेड़ दी है, साथ ही याचिकाकर्ता और वकीलों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं.